धराली के बाद जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में आसमानी आपदा बरस पड़ी है। मचैल माता तीर्थयात्रा के दौरान बादल फटने से करीब 46 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए हैं। कई मृतकों के शव बरामद कर लिए गए हैं। बादल फटने के बाद लोग बहते और चीखते चिल्लाते नज़र आए। यह आपदा उस समय आई जब लंगर चल रहा था। घटना के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन बारिश के कारण हेलिकॉप्टर नहीं पहुंच पा रहे।
यह हादसा आज सुबह लगभग 11 बजे किश्तवाड़ के चिशोती इलाके में मचैल माता तीर्थयात्रा के मार्ग में पद्दर उपखंड पर हुई। बाढ़ के तेज बहाव में मकान और पुल भी बह गए। लकड़ी का एक पुल और पीएमजीएसवाई का पुल क्षतिग्रस्त होने की खबर है। बताया जा रहा है कि आधे से ज्यादा गांव बह गए। मचैल यात्रा गांव से होकर ही निकलती है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि किश्तवाड़ में बादल फटने से व्यथित हूं।
2800 मीटर की ऊंचाई पर है मचैल माता मंदिर
* मचैल चंडी माता मंदिर मचैल गांव में स्थित दुर्गा माता का एक मंदिर है।
* यह मंदिर 2800 मीटर की ऊंचाई पर किश्तवाड़ जिले की पैडर घाटी में है।
* यह गांव जम्मू शहर से 290 किमी और किश्तवाड़ से 66 किमी दूरी पर है।
* आम तौर पर लोगों को पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचने में 2 दिन लगते हैं।
* रास्ते में कई गाँव पड़ते हैं जहाँ वे रात बिता सकते हैं।
* इस मन्दिर को ‘मचैल माता मन्दिर’ के नाम से जाना जाता है। * हजारों तीर्थयात्री, मुख्य रूप से जम्मू क्षेत्र से, हर अगस्त में मंदिर आते हैं।
* यह मंदिर चिनाब नदी की सहायक नदियों के पास है।
* इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अनुयायी और ठाकुर समुदाय के लोग रहते हैं जो सर्पों की पूजा करते हैं।
* महाराजा रणबीर सिंह ने इसे किश्तवाड़ तहसील में मिला दिया गया था।
* 1981 में जम्मू क्षेत्र के भद्रवाह के ठाकुर कुलवीर सिंह ने इस मंदिर का दौरा किया था।
* 1987 से ठाकुर कुलवीर सिंह ने ‘छड़ी यात्रा’ शुरू की। हर साल हजारों लोग ‘छड़ी यात्रा’ के दौरान मंदिर आते हैं, जो भद्रवाह में चिनोट से पद्दार में मचैल तक शुरू होती है।
