उज्जैनमध्यप्रदेश

आखिर खुला राज़… शादी से बचने हुई थी लापता !

इंदौर से newjline.com के लिए प्रसम मोदी की रिपोर्ट

रक्षाबंधन से पहले कटनी के लिए निकली अर्चना तिवारी के ट्रेन से लापता होने का पूरा राज अब पुलिस ने खोल दिया है। अर्चना का शुजालपुर निवासी एक युवक से कनेक्शन सामने आया है। अर्चना नेपाल जाने की तैयारी में थी, लेकिन इसके पहले ही पुलिस के हाथ उस तक पहुंच गए। अर्चना ने ही लापता होने की पूरी कहानी रची थी।
पिछले 13 दिनों से अर्चना तिवारी के लापता होने से रहस्य गहरा रहा था, लेकिन जीआरपी ने मंगलवार को उसे नेपाल सीमा के पास उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी से पकड़ लिया था। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में प्रैक्टिसिंग वकील अर्चना सिविल जज परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं। पुलिस के अनुसार वह शुजालपुर के सारांश जैन की मदद से नेपाल जाने की फिराक में थी। सारांश इंदौर की डोरन कंपनी मे काम करता था। वह 7 अगस्त को इंदौर से ट्रेन में बैठकर निकली थी, लेकिन भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन पहुंचने से पहले ही इटारसी के आउटर पर उतर गई थी। वहां से वह शुजालपुर पहुंची। उसने पुलिस को बताया है कि घर वाले उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। वह इसके लिए राजी नहीं थी। इसे लेकर उसका घर में कई बार विवाद होता था। अर्चना का सपना था कि जब तक वह सिविल जज नहीं बन जाती, उसे शादी नहीं करना है। इस बीच परिवार ने एक लड़का देख लिया था और उससे शादी करवाना चाह रहे थे। जिससे वह परेशान हो गई थी और इसी वजह से उसने घर जाने से पहले ही भागने की योजना बना ली थी। इटारसी रेलवे स्टेशन से पहले उसने अपने पुराने क्लाइंट पंजाब निवासी तेजेन्दर सिंह से मदद मांगी और वहीं उतर गई। उसने तेजेंदर को पहले ही पूरी कहानी समझा दी और कहा था कि ऐसी जगह उतारना जहां सीसीटीवी कैमरे न लगे हों। तेजेंदर नर्मदापुरम स्टेशन से उसके साथ हो गया और इटारसी में सारांश के साथ भेज दिया था। इसके बाद वह सारांश के साथ उसकी कार मे बैठकर शुजालपुर आ गई जहां से इंदौर चली गई। वहां से हैदराबाद चली गई जहां दो तीन दिन रुकने के बाद पेपर और मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि केस काफी चर्चित हो गया है। इस कारण सुरक्षित महसूस नहीं कर रही थी। इसके बाद वह सारांश के साथ 11 अगस्त को हैदराबाद से दिल्ली चली गईं थी और उसी के साथ टैक्सी से धनगुढ़ी नेपाल फिर काठमांडू पहुंच गई थी। वहां एक होटल में ठहरी और सारांश को इंदौर भेज दिया था। सारांश को उसने अपना दोस्त बताया और प्रेम प्रसंग से इंकार किया है। सारांश के माध्यम से ही पुलिस ने उससे काठमांडू में मोबाइल से संपर्क किया और कहा परिवार के लोग परेशान है, वापस आ जाओ। वह चाहती थी कि घर के लोग समझे कि अर्चना मर गई, इसलिए बैग ट्रेन में ही छोड़ दिया था। 29 वर्षीय अर्चना की आखिरी लोकेशन इटारसी स्टेशन पर मिली थी। वह 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन से कटनी के लिए रवाना हुई थी लेकिन अपने घर तक नहीं पहुंच सकी थी। अर्चना तिवारी के परिवार वालों ने भोपाल के रानी कमलापति जीआरपी थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी।
ऐसे जुड़ा आरक्षक का नाम…

अर्चना के लापता होने की कहानी में आरक्षक राम तोमर का नाम भी सामने आया था। अर्चना 6 अगस्त को ही इस कहानी को अंजाम देने वाली थी, लेकिन उसने प्लान बदल दिया। 6 अगस्त को ग्वालियर के आरक्षक राम तोमर ने उसका बस टिकिट बुक कर दिया। आरक्षक राम तोमर की इंदौर और दिल्ली की लोकेशन ट्रेस भी जीआरपी को मिली थी। राम तोमर के लगभग कई दोस्तों से भी टीम ने पूछताछ की है। जिसमें उसके कनेक्शन की कहानी पता की जा रही है। इससे पहले जानकारी मिली थी कि ग्वालियर के भंवरपुरा थाने में तैनात आरक्षक राम तोमर ने अर्चना तिवारी का इंदौर से ग्वालियर तक का ट्रेन टिकट बुक कराया था। इस खुलासे के बाद ग्वालियर रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने आरक्षक राम तोमर को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। आरक्षक तोमर ने पुलिस पूछताछ में अर्चना का टिकट बुक करने की बात स्वीकार की लेकिन, ये दावा भी किया कि अर्चना उस टिकट से यात्रा नहीं कर रही थी। ये भी पता चला है कि अर्चना और राम तोमर के बीच यात्रा से पहले फोन पर बातचीत हुई थी।

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