कलेक्टिव न्यूजरूम इंदौर से
इंदौर में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही कटनी निवासी अर्चना तिवारी नमक युवती का ट्रेन से लापता होने का मामला अब सुर्खियों और अनगिनत सवालों के घेरे में है। वह राखी के दो दिन पहले हॉस्टल से घर जाने के लिए निकली थी, लेकिन पांच दिन बाद भी उसकी कोई खबर नहीं मिल सकी है।
इंदौर पुलिस ने मामला कटनी पुलिस को सौंप दिया है। 28 वर्षीय अर्चना रक्षाबंधन से पहले 7 अगस्त को इंदौर स्थित हॉस्टल से कटनी के लिए नर्मदापुरम एक्सप्रेस से निकली थी, लेकिन वह कटनी नहीं पहुंची। इंदौर स्थित हॉस्टल से वह पिंक ड्रेस पहनकर निकली थी, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। वह मंगल नगर, कटनी की निवासी है और वर्तमान में इंदौर में रहकर सिविल जज की परीक्षा की तैयारी कर रही थी। साथ ही वकालत भी कर रही थी। भोपाल स्टेशन तक उसकी लोकेशन मिली है लेकिन उसके बाद की लोकेशन नहीं मिल सकी। सफर के दौरान परिवार वालों से आखिरी बार उसकी बात सुबह 10 बजे हुई थी। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ होने से लोकेशन नहीं मिल सकी है। अचानक उसके इस तरह लापता होने का रहस्य गहराता जा रहा है। परिजनों व पुलिस ने उसके इंदौर में रहने वाले परिचितों व दोस्तों से भी बात की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। अर्चना इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच में सीट नंबर 3 पर सफर कर रही थी। यात्रियों ने बताया है कि भोपाल स्टेशन के बाद वह कोच में थी। उसका मोबाइल भी उसके पास ही था, लेकिन सामान कोच में ही रखा था। तब ट्रेन भोपाल के आसपास थी। इसके बाद से उसका मोबाइल फोन बंद है। अर्चना भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन तक पहुंची, लेकिन इसके बाद ट्रेन में दिखाई नहीं दी। उसके मोबाइल की आखिरी लोकेशन नर्मदापुरम जिले के ब्रिज के पास की मिली है।
उमरिया में मिला बैग
अर्चना का बैग उमरिया स्टेशन पर लावारिस हालत में मिला। भोपाल से कटनी के बीच जिन स्टेशनों पर ट्रेन रुकती है, वहां परिजनों ने उसकी तलाश की है और पुलिस की भी मदद ली है, लेकिन चार दिन बाद भी उसका पता नहीं चला। मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण इंदौर, भोपाल, नर्मदापुरम से लेकर कटनी रेल पुलिस उसकी तलाश में है।
बड़े पिता ने भेजा था पढ़ने इंदौर
अर्चना के पिता का निधन होने के बाद कटनी न्यायालय में वकील उसके बड़े पिता बाबू प्रकाश तिवारी ने अर्चना को सिविल जज की पढ़ाई करने के लिए इंदौर भेजा था। वह सत्कार गर्ल्स हॉस्टल में रहकर कौटिल्य एकेडमी से सिविल जज करती और बाकी समय में कोर्ट की प्रैक्टिस करती थी।
